दोस्तो! इस पुस्तक को लिखने से पहले मैं विभिन्न उम्र, व्यवसाय, क्षेत्र तथा विभिन्न राज्यों के हजारों लोगों से मिला और उनसे बातचीत की। उनके खुश रहने के कारणों के बारे में जानकारी मालूम की।
लोगों के खुश रहने के अपने-अपने तरीके हैं-
कोई कहता है, 'जब मैं दो बालटी गरम पानी से नहा लेता हूँ तो मुझे खुशी मिलती है।'
'जब मुझे अपने दोस्तों के मेसेज मिलते हैं, मुझे अपार खुशी मिलती है।'
जब कोई कहती है, 'मैं काफी सुंदर लग रही हूँ, यह सुनकर मुझे खुशी होती है।'
'जब मेरे पापा मुझे अपनी बाइक चलाने के लिए कहते हैं तो मैं खुशी से उछल पड़ता हूँ।'
'जब टीचर कहते हैं कि कल क्लास नहीं है, उस दिन मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है।'
मैंने लोगों को उन बातों की सूची बनाने के लिए कहा, जिस चीज को प्राप्त करने के बाद उन्हें सबसे अधिक खुशी मिलती है। सबसे अधिक आश्चर्य तो तब हुआ, जब लोग खुशी की सूची बनाते हुए परेशान दिखे। उनकी खुशी की सूची एक-दो बातों से लंबी नहीं रही थी। इसका मतलब यह निकलता है कि लोग खुशी की तलाश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें यह पता ही नहीं है कि किस बात में ज्यादा खुशी मिलती है। खुशी की बजाय उन्हें दुःख देने या परेशान करनेवाली बातों की सूची बनाने के लिए कहा तो उन्होंने दुःखी करनेवाली बातों की लंबी सूची तैयार करके दे दी।
लोगों की खुशी की सूची को पढ़कर आपको उसमें खुश रहने की प्रेरणा नहीं मिलेगी; बल्कि आप उन बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ सकते हैं कि क्या लोगों को ऐसी बातों में भी खुशी मिल सकती है! मुंबई के गोरेगाँव में रहनेवाले, प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार देखनेवाले एक महाशय ने खुशी की सूची में लिखा- 'मेरा कुत्ता जब मेरे सामने दुम हिलाता है तो मेरा दिल खुशियों से झूम उठता है।' दिल्ली के रहनेवाले एक व्यवसायी का कहना था, 'लोगों के फटे जूते देखकर उन्हें खुशी मिलती है।'